Man changa to kathoti mein Ganga

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आज मैं उस सोच रहा था की याद आया मेरी माँ हमेशा हम सभी को सिखाती थी , जो ईश्वर ने हमें दिया है इसमें संतुष्टि रखना चाहिए I मेरी माँ चौथी क्लास पड़ी थी लेकिन उनकी विचारधारा सोच समझदारी आज हम सबसे ज़्यादा थी ।यहीएक कारण है आज भी माँ को ईश्वर में विलीन होने के लिए 12 साल हो गए हैं लेकिन उनकी यादें आज भी मुझे सीख देती रहती है ।

Today I was thinking that I remembered that my mother always used to teach us that we should be satisfied with what God has given us. My mother was just passed fourth grade, but her thinking and understanding was the highest among us. This is the reason today It has been 12 years for my mother to merge with God but her memories continue to teach me even today.

कभी कोई वस्तु दिखे नहीं या कहीं रख दिए हैं तो हम अम्मा कहते कि आप ईश्वर से प्रार्थना करें की चीज़ों में जल्दी मिल जाए ज़्यादा ढूंढना न पड़े अब इसका उद्देश्य था की माँ भोली है और ईश्वर उनके पास सुनेगा ।माँ ईश्वर से प्रार्थना करती चार आने या बहुत हो गया तो सवा रू का प्रसाद चढ़ाते थे ।और हमारी चीज़ें जो कहीं रख दी गई थी मिल जाती थी।आज की पोस्ट “मन चंगा तो चोटी में गंगा” इसी आधार पर आइए इसका अर्थ समझ कर अपने जीवन में अच्छी बातों को सार्थकता दे I

Sometimes we don’t see any thing or have kept it somewhere, then we say to Amma ( my mother ) that you pray to God so that we can get things quickly . This was with the desire that , we don’t have to search too much everywhere in the house . Why did I asked to my mother ? My mother is completely innocent with pure heart and God will listen to her prayer to get the lost think quickly . Mother prays to God. and used to say Lord to offer small token as prasad ( One Rupee and 25 paisa !!)

“मन चंगा तो कठोती में गंगा”, जानिए संत रविदास ने क्यों कही ये उक्ति और क्या है इसका वास्तविक मतलब

यदि मन पवित्र है तो घर ही तीर्थ है

अपने काम में खुश रहना

 यदि दि मन में भगवान हो साधना हो तो जिंदगी में खुशी ही खुशी है और मन में ईश्वर का वास नहीं हो तो गंगा स्नान जाने का अर्थ नहीं है

If your mind is healthy then even your house accommodates the holy Ganges river. That is, if our mind/body/soul is pure then going for a dip in the Holy Ganga river is not necessary. Even our own bathroom, bucket and mug is good enough to have a ‘holy’ bath

Man changa to kathoti mein Ganga” means our body needs to be holy by soul not by just taking bath into the holy river, if our soul and heart is pure and happy then we are completely holy even after taking bath from the water filled in tub at home.

That is if your heart is pious then the holy river is right in your tub and you need not go anywhere else to take a dip

Story _Background

।संत रविदास, संत कबीर के गुरु भाई थे। संत रविदास जी के विषय में एक कथा प्रचलित है कि एक बार ये अपने जूते बनाने में तल्लीन थे। उसी वक्त उनके पास एक ब्राह्मण आए और कहने लगे- “मेरी जूती थोड़ी टूट गई है इसे ठीक कर दो।” जिसके बाद रविदास जी ब्राह्मण की जूती ठीक करने लगे। फिर अचानक

रविदास जी ने उनसे पूछा- श्रीमान! आप कहां जा रहे हैं। इस पर ब्राह्मण ने कहा- “मैं गंगा स्नान करने के लिए जा रहा हूं, तुम चमड़े का काम करने वाले क्या जानोगे कि गंगा स्नान से कितना अधिक पुण्य मिलता है।” रविदास जी ने कहा कि सही कहा श्रीमान! हम मलीन और नीच लोगों के गंगा स्नान करने से गंगा भी अपवित्र हो जाएगी।इस पर उस ब्राह्मण ने कहा- “ये लो अपनी मेहनत के एक कौड़ी और और मुझे मेरी जूती दो।” फिर रविदास जी ने ब्राह्मण से कहा कि ये कौड़ी आप मां गंगा को गरीब रविदास की भेंट कहकर अर्पित कर देना। इसके बाद ब्राह्मण अपनी जूती लेकर चला गया। रविदास जी फिर से अपने काम में तल्लीन हो गए। गंगा स्नान के बाद जब ब्राह्मण घर वापस जाने लगा तो उसे याद आया कि उस शूद्र की कौड़ी तो गंगा जी को अर्पण की ही नहीं। उसने कौड़ी निकली और गंगा के तट पर खड़े होकर कहा- हे मां गंगे! रविदास की ये भेंट स्वीकार करो। उसी वक्त गंगा जी से एक एक हाथ प्रकट हुआ और आवाज आई- लाओ रविदास जी के ये भेंट मेरे हाथ पर रख दो।

जिसके बाद ब्राह्मण ने उस कौड़ी को हाथ पर रख दिया। जब ब्राह्मण हैरान होकर वहां से लौटने लगा तो फिर उसे वही आवाज सुनाई दी- ब्राह्मण! ये भेंट मेरे ओर से रविदास जी को देना। दरअसल गंगा जी के हाथ में एक रत्न जड़ित कंगन था। ब्राह्मण हैरान होकर उस रत्न जड़ित कंगन को लेकर चल पड़ा। जाते-जाते रास्ते में उसने सोचा कि रविदास को क्या मालूम कि मां गंगा ने उसके लिए कोई भेंट दी है। ब्राह्मण सोचने लगा- “अगर ये रत्न जड़ित कंगन मैं रानी को भेंट दूं तो राजा मुझे मालामाल कर देगा।” वह राज दरबार पहुंचा और रानी को भेंट स्वरूप वह कंगन दे दिया। रानी वह कंगन देखकर बहुत खुश हुई।

इधर ब्राह्मण अपने मिलने वाले इनाम के बारे में सोच ही रहा था कि रानी ने अपने दूसरे हाथ के लिए भी वैसा ही कंगन लाने की फर्माइस राजा से कर दी। राजा ने ब्राह्मण से कहा मुझे इसी तरह का दूसरा कंगन चाहिए। इस पर उस ब्राह्मण ने कहा कि आप अपने राज जौहरी से इसी तरह का दूसरा कंगन बनवा लें। तभी जौहरी ने राज को बताया कि इसमें जड़े रत्न बहुत कीमती हैं, वह राजकोष में भी नहीं है। इस पर राजा को क्रोध आ गया। उसने ब्राह्मण से कहा कि यदि तुम दूसरा कंगन लाकर नहीं दे सके तो तुम्हें मृत्युदंड मिलेगा। यह सुनकर ब्राह्मण की आंखों से आंसू बहने लगे। फिर उसने सारी सच्चाई राजा को बताई। फिर कहा कि केवल रविदास जी हैं जो दूसरा कंगन मां गंगा से लाकर दे सकते हैं। राजा को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ।

वह ब्राह्मण के साथ संत रविदास के पास पहुंचा। वहां रविदास जी अपने काम में हमेशा की तरह तल्लीन थे। ब्राह्मण ने दौड़कर उनके पैर पकड़ लिया। साथ ही वे अपने जीवन की रक्षा की प्रार्थना की। रविदास जी ने जब ब्राह्मण के जीवनदान की प्रार्थना राजा से की। तब राजा ने उनसे उस ब्राह्मण के जीवनदान के बदले दूसरा कंगन मांग लिया। तब संत रविदास जी ने वहीं एक बर्तन से जल लिया और मां गंगा से प्रार्थना करने लगे। तभी उसी बर्तन में एक दूसरा कंगन प्रकट हुआ। राज यह देखकर बहुत हैरान हुआ। इसके बाद संत रविदास ने कहा- “मन चंगा तो कठोती में गंगा”। कहते हैं कि प्रभु के रंग में रंगे महात्मा लोग जो अपने कार्य करते हुए प्रभु का नाम लेते रहते हैं उनसे पवित्र और बड़ा कोई तीर्थ इस धरती पर नहीं है

Conclusion

We should develop good thought process by taking first with ourselves to generate positive self-talk can help you build excitement and develop inner strength yourself up and feel confident before a situation. When you talk to yourself this way you’re able to motivate yourself and pay more attention to your thoughts.

Self-talk can help you make decisions more easily and motivate you to do things you may be putting off. Keeping a positive outlook and talking to yourself kindly can have great impacts on your overall mental health. 

Remember to generate positivity to keep our mind in good thoughts to allow develop compassion , humbleness and be cooperative approach to get our job done .

Additional on 25th Dec 2022

अगर बर्तन ही गंदा है तो खाना
कितना भी अच्छा हो हम उस
बर्तन मे नहीं खाएंगे
उस बर्तन को साफ करना होगा

If utensil is dirty then eat no matter how good we are won’t eat in utensils gotta clean that dish

उसी तरह हम कितने भी मंदिरों मे
माथा टेक लें, कुछ नहि होगा
जब तक अपना बर्तन याने मन
निरमल नहीं होगा,

In the same way no matter how many temples we visit bow down, nothing will happen As long as our vessel i.e. mind will not be pure

आप अपने बर्तन को “रोज़ भजन
” सिमरन करके” साफ रखें वो
मालिक खुद ही उस बर्तन को भरेगा

You can pray lord with prayers and keep our heart pure and clean the utensil to get the divine blessings .