Ausan Bibi Ki Puja Vrat Katha Aur Puja Vidhi
औसान बीबी की पूजा व्रत कथा और पूजा विधि
Ausan Bibi Ki Puja Vrat Katha Aur Puja Vidhi, औसान बीबी की पूजा व्रत कथा और पूजा विधि :- औसान बीबी की पूजा का शुद्ध रूप अवसान विधि की पूजा है। हमारे देश के पूर्वी प्रान्तों में इसे अचानक देवी व्रत कहते हैं।
औसान बीबी पूजा विधि :-
इस दिन प्रातः काल स्नान आदि कर स्त्रियाँ यह व्रत और पूजा करती हैं। विवाहादि शुभ कार्योपरान्त 7 सधवा स्त्रियों को आमंत्रित करके उनके सुहाग की पूजा की जाती है। भगवान् राम-सीता के विवाहोपरान्त जनकपुरी से लौटने पर राजा दशरथ ने सुहागिन स्त्रियों को सम्मानित किया था। पूजन के बाद गुड़ मिश्रित चने की दाल का प्रसाद बाँटा जाता है। सधवा स्त्रियों को भोजन कराने का भी नियम है। रात्रि हरि-कीर्तन करके व्यतीत करनी चाहिए।
औसान बीबी व्रत कथा :-
एक समय की बात है, कोई भाई-बहन थे। भाई को चिड़िया पालने का बड़ा शौक था। वह दिन और रात उन्हीं की देखभाल में लगा रहता था। जब भाई की सगाई हुई तो वह उसी दिन से दुबला होने लगा।
एक दिन बहन ने भाई से इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि मुझे किसी भी बात का कोई दुख नहीं है किन्तु मुझे चिन्ता लगी रहती है जब मैं बारात के साथ विवाह करने के लिए जाऊँगा तो मेरे पीछे तीन-चार दिनों तक मेरी चिड़ियों को पानी कौन देगा ? यदि इनकी देखभाल में थोड़ी सी भी लापरवाही या देरी हुई तो कठिन परिश्रम से पाली हुई मेरी चिड़ियाँ बेमौत मर जायेंगी।
बहन ने भाई को धैर्य बँधाया और कहा कि तुम जरा भी चिन्ता न करो। यह काम मैं अपने जिम्मे लेती हूँ। तुम्हारी चिड़ियों को दाना और पानी मैं स्वयं दूँगी और तुम्हारे विवाह से लौटने तक मैं उन्हें किसी प्रकार का कष्ट न होने दूँगी।
कुछ दिनों में विवाह की तिथि आने पर भाई दूल्हा बनकर बारात के साथ चला गया। बहन भी घर के नेगचार के काम में व्यस्त रहने के कारण चिड़ियों को समय पर दाना-पानी न दे सकी। जब वह कुछ अवकाश पाकर चिड़ियाखाने में गई तो उसने देखा कि अधिक चिड़ियाँ मरी पड़ी हैं। यह देख वह भारी संकट में पड़ गई। उसने मन-ही-मन औसान बीबी का स्मरण किया और कहने लगी — हे देवी ! आपकी कृपा से चिड़ियाँ जी उठीं तो मैं दुरैया कराऊँगी। देवयोग से सब चिड़ियाँ जी उठीं। तब बहन ने उनको दाना-पानी दिया।
चिड़ियों को दाना-पानी देकर वह बाहर चली आई और अपने मन में यह विचार कर खड़ी हो गई कि यदि कोई इधर से निकले तो उससे कुछ भुनाऊँ और फिर सुहागिनों को न्यौता बुलाऊँ, तभी उधर बारात निकली। लड़की ने बारातियों से प्रार्थना की, कोई मेरे चने भुना कर ला दो, किन्तु बारातियों ने इन्कार कर दिया।
बारात ने गाँव से आगे चलकर जब एक अच्छा स्थान देख कर वहाँ विश्राम किया तो दूल्हा अपने आप ही मूर्छित हो गया। लड़की अपने घर के द्वार पर खड़ी ही थी। थोड़ी देर बाद उधर मुर्दे को कन्धों पर लिये हुए कुछ आदमी जा रहे थे। लड़की ने मुर्दे के साथ जाने वाले लोगों से कहा कि कोई मेरे चने भुना कर ला दे, तो मैं सुहागिनों को न्यौत बुलाऊँ।
उनमें से एक ने कहा — क्या हर्ज है, इसके चने भुनाने में देर ही कितनी लगेगी ? मुर्दा जलाने को अभी बहुत समय है
यह सोचकर कुछ लोग चने भुनाने के लिए चल दिये। तभी अर्थी पर से मुर्दा उठकर बैठ गया। यह देखकर लोगों को बहुत आश्चर्य हुआ और सब ने लड़की के पास जाकर श्रद्धा से नमस्कार करके पूछा — बहन ! तुमने यह क्या जादू कर दिया है जिससे मुर्दा जीवित हो गया है ?
लड़की ने उत्तर दिया — मुझे इसके बारे में क्या मालूम ? मेरी दुरैया जाने, औसान बीबी जाने। मैंने औसान बीबी से प्रार्थना की थी कि मेरे भाई की मरी चिड़ियाँ जी उठें तो भुने चने का प्रसाद बाटूँगी। उनकी पूजा के प्रसाद के लिये चने भुनाने चली थी। तुम लोगों ने जा करके चने भुनाकर ला दिये और तुम्हारा मुर्दा जी उठा। यह सब औसान बीबी की माया है। उन लोगों ने भी सुहागिनों को न्यौता बुलाया और औसान बीबी की विधि-पूर्वक पूजा की।
जिन लोगों का दूल्हा बेहोश हो गया था वे भी लौटकर उसी जगह आये और उन्होंने लड़की से पूछा कि तुमने हमारे दूल्हे को क्या कर दिया जो वह अपने-आप मूर्च्छित हो गया ?
लड़की ने कहा कि मैं क्या जानूँ ? मेरी औसान बीबी जाने ! उनकी पूजा के लिए चने भुनाकर ला देने वालों का मुर्दा जी उठा और तुमने इनकार किया तो तुम्हारा दूल्हा अचेत हो गया। इसमें मैं क्या करूँ ?
उन लोगों ने लड़की से कहा कि हमें औसान बीबी की पूजा-विधि बता दो। हम भी घर पहुँच कर उनकी पूजा करेंगे।
यह सोचकर कुछ लोग चने भुनाने के लिए चल दिये। तभी अर्थी पर से मुर्दा उठकर बैठ गया। यह देखकर लोगों को बहुत आश्चर्य हुआ और सब ने लड़की के पास जाकर श्रद्धा से नमस्कार करके पूछा — बहन ! तुमने यह क्या जादू कर दिया है जिससे मुर्दा जीवित हो गया है ?
लड़की ने उत्तर दिया — मुझे इसके बारे में क्या मालूम ? मेरी दुरैया जाने, औसान बीबी जाने। मैंने औसान बीबी से प्रार्थना की थी कि मेरे भाई की मरी चिड़ियाँ जी उठें तो भुने चने का प्रसाद बाटूँगी। उनकी पूजा के प्रसाद के लिये चने भुनाने चली थी। तुम लोगों ने जा करके चने भुनाकर ला दिये और तुम्हारा मुर्दा जी उठा। यह सब औसान बीबी की माया है। उन लोगों ने भी सुहागिनों को न्यौता बुलाया और औसान बीबी की विधि-पूर्वक पूजा की।
जिन लोगों का दूल्हा बेहोश हो गया था वे भी लौटकर उसी जगह आये और उन्होंने लड़की से पूछा कि तुमने हमारे दूल्हे को क्या कर दिया जो वह अपने-आप मूर्च्छित हो गया ?
लड़की ने कहा कि मैं क्या जानूँ ? मेरी औसान बीबी जाने ! उनकी पूजा के लिए चने भुनाकर ला देने वालों का मुर्दा जी उठा और तुमने इनकार किया तो तुम्हारा दूल्हा अचेत हो गया। इसमें मैं क्या करूँ ?
उन लोगों ने लड़की से कहा कि हमें औसान बीबी की पूजा-विधि बता दो। हम भी घर पहुँच कर उनकी पूजा करेंगे।
लड़की ने उन्हें पूजा की विधि बता दी। पूजा का संकल्प करते ही दूल्हा स्वस्थ हो गया। तब उन लोगों ने घर पहुँचकर सात सुहागिनें न्यौंती और उनके आँचल भर कर श्रद्धापूर्वक औसान बीबी की पूजा की।
इधर जब लड़की का भाई विवाह करके लौटा तो लड़की की माता ने भी औसान बीबी का पूजन किया। तभी से विवाह के अन्त में औसान बीबी की पूजा का प्रचलन हो गया।
पूजा और व्रत कथा के उपरान्त चालीसा एवं आरती अवश्य करें :-