Hanuman as disciple (Sevak) 05 nOV 2020
Hanuman ji continue to share his feeling with master Ram जदपि नाथ बहु अवगुन मोरें। सेवक प्रभुहि परै जनि भोरें॥नाथ जीव तव मायाँ मोहा। सो निस्तरइ तुम्हारेहिं छोहा॥1॥ भावार्थ:-एहे नाथ! यद्यपि मुझ में बहुत से अवगुण हैं, तथापि सेवक स्वामी की विस्मृति में न पड़े … Continue readingHanuman as disciple (Sevak) 05 nOV 2020